Cg University News विश्वविद्यालय कुलपति की बड़ी घोषणा!
विश्वविद्यालय कुलपति की बड़ी घोषणा!
हम अखबारों में यह समाचार नियमित रूप से पढ़ रहे हैं कि बच्चे अभी तक परीक्षाओं> को ऑनलाइन करवाने की सिफारिश में लगे हुए हैं। उनके इस व्यवहार से यह साबित होता है कि कोविड के इतने लंबे अंतराल की वजह से बच्चों के मन में <ऑफलाइन है। कल एक बच्चे ने मुझसे पूछा मैडम यह परीक्षाएं होती ही परीक्षा को लेकर किसी प्रकार की गई क्यों है! ऐसा क्यों नहीं होता कि हम साल भर पढ़ते रहें और पढ़ते-पढ़ते ही अगली कक्षा मेंप्रवेश कर जाएँ ! इसी तरीके से हम अगली से अगली, फिर <अगली से और अगली कक्षा में जाएं और यूँ ही बड़े हो जाएं?
इसके बाद हमें कॉलेज में जाने का अवसर मिलेगा और हमें नौकरी भी मिल जाएगी।< कहीं ना कहीं उस बच्चे के मन में परीक्षाओं के प्रति काफी भय था, यह मुझे स्पष्ट रूप से समझ में आ रहा था। उसकी मानसिक परिस्थिति को भांप कर मैंने आगे और पूछताछ की तो पता चला कि जब वह बच्चा ऑनलाइन परीक्षा देने के मूड में था, तब उसे परीक्षा से इतनाडर नहीं था। मैंने उससे पूछा कि पिछली 8 कक्षाओं में से 6 कक्षाओं में तो तुमने ऑफलाइन परीक्षा ही दी है। गुजरे 2 साल ऑनलाइन परीक्षाएं देने के बाद ऐसा क्या हो गया कि तुम्हें ऑफलाइन से अचानक इतना भय होने लग गया ?
बहरहाल मसला यहाँ बच्चों के परीक्षा देने के एटीट्यूड का है। कोरोना संक्रमण के पिछले 2 वर्षों अधिकांश बच्चों की पढ़ाई पर ही असर नहीं पड़ा है,< वरन् पूरी शिक्षा पद्धति के प्रति उनके रुख पर झी बहुत गहरा असर पड़ा है। तकनीक का सहारा लेकर ऑनलाइन पद्धति से और गूगल अंकल की मदद प्राप्त करके बच्चों ने कोरोना काल परीक्षाओं को बड़ी आसानी से पार पा लिया। मगर अब जब ऑफलाइन की बात आ रही है तो उन्हें यह समझ में आ रहा है कि शायद हमारी तैयारी अच्छी तरह नहीं हुई है।
ऐसे सभी बच्चों को जिन्हें ‘ऑफलाइन पढ़ाई’ एवं ऑफलाइन परीक्षा से डर लग
रहा है उन्हें यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहती हूँ
1. यह कि जब आप ऑफलाइन पढ़ाई करते हैं तब< आप अपने पांचों सेंसेस (इन्द्रियों) का पूरा प्रयोग करते हैं। ऐसा करने से आप जो भी पढ़ते हैं, वह आपके याददाश्त में बहुत अच्छे से उतर जाता है।
2 .ऑफलाइन परीक्षा देने से यह अवश्य होगा कि किसी भी विषय पर< तथा उस विषय के जो गूढ़ कॉन्सेप्ट्स है, उन पर आप की पकड़ बहुत अच्छी हो जाएगी। यह समझ और ज्ञान आपको आने वाली उच्च कक्षाओं की पढ़ाई करने में तथा महाविद्यालय स्तर में भी बहुत महत्वपूर्ण साबित
3 ऑफलाइन परीक्षाएं हमें समय प्रबंधन भी सिखाती हैं ।< ऑफलाइन परीक्षाएं जब होती हैं, तो हम समय से उठते हैं, नहा-धोकर नाश्ता करते हैं और बराबर समय पर अपनी परीक्षा हॉल में पहुंच जाते हैं। इतना सही समय प्रबंधन ऑनलाइन परीक्षाओं के प्रयोजन में हमें सीखने को नहीं मिलता।
4 एक और बात, ऑनलाइन परीक्षाओं में अधिकांश मल्टीपल चॉइस क्वेश्वंस (बहुवैकल्पिक प्रकार के या टउद) या फिर मल्टीपल आंसर वेस (टअद) के ही पैटर्न को फॉलो किया जाता है।< मगर ऑफलाइन परीक्षाओं में आपको अपनी समझ के अनुसार काफी सारे शब्दों में प्रश्नों का उत्तर देने की व्यवस्था रहती है। ऐसे में आपको अधिक अंक प्राप्त करने के ज्यादा अवसर मिलते हैं।
तो बच्चों एक बात तो तय है परीक्षाएं होनी ही है और ऑफलाइन पद्धति से ही होनी है। जैसा मैंने पिछले अंक में कहा था, अपनी परीक्षाओं से प्रेम करना शुरू कर दो। स्वीकार लो कि यह पड़ाव आपकी सफलता के मार्ग में आपके लिए बहुत लाभकारी है। जितना भी समय बचा हुआ है<, उस समय का सदुपयोग करना अति आवश्यक है। क्या, क्यों, कैसे और कहां, इस तरीके के प्रश्नों में व्यर्थ समय जाया ना करें। सीधे अपने परीक्षा
की तैयारी करने में भिड़ जाएँ। कल हम आपको यह बताएंगे कि बचे हुए कम समय में, आप किस तरीके से समय का प्रबंधन कर सकते हो,< ताकि आप अपनी परीक्षा में एक अच्छा रिजल्ट ला सको। हम यह भी बताएंगे कि आपकी इन दिनों में दिनचर्या कैसी होनी चाहिए। आपको कितना समय पढ़ाई के लिए देना चाहिए और बाकी के समय में आपको क्या करना चाहिए। आप की परीक्षाओं के लिए शुभकामनाओं सहित…